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वक्त था कभी जब इंतजार रहता था किसी के आने का हर र

वक्त था कभी जब इंतजार रहता था किसी के आने का

हर रोज कोई ना कोई दस्तक दे जाता था
रुखी सूखी ही सही बडे़ प्यार से रोटी खा जाया करता था
आज पकवान दस हो ,चौखट भले खुले हो
पर वो प्यार गुम हो गया वो काकी ताई, भौजाई
अंकल आंटी में बदल गया
सालों बीत जाते हैं 
मोबाइल पर ही हाय हैलो बोल लेते हैं
घर आने का तो सवाल ही नहीं....

©Usha bhadula
  #Glazing एक जमाना
ushabhadula1560

Usha bhadula

New Creator

#Glazing एक जमाना #विचार

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