कभी-कभी ,इंसान इस भीङ में भी, खुद को अकेला पाता है । शोहरत,पैसा और अनजाने लोगों में, अपना सिर्फ एक, साथी चाहता है । जिससे कह सके ,खुल कर अपनी बात, हँस सके,उसके साथ,बिना बात । पर दिल की बातें ,इस शोर में, किसी से बाँट नहीं पाता । कुछ पाने की ,तलाश में, बहुत कुछ , छोङता जाता है,आकाश की , तलाश में ,जमीन छोङता चला जाता है । क्या ढूँढते ढूँढते ,क्या खो देता है, क्या पाते पाते ,क्या खो देता है, जान नहीं पाताहै,इक पहचान , बनाने के लिऐ,अपना अस्तित्व खो देता है । ©purvarth #अस्तित्व