जब चलते चलते थक जाओ,तो रुकने का हक है तुम्हे, जब रोज की जिंदगी से पक जाओ तो चिढ़ने का हक है तुम्हे, हक है तुम्हे बिखरने का जब रूह तक टूट जाओ तुम, हक है तुम्हे खुद से मिलने का,जब खुद से ही छुट जाओ तुम। © DR NEHHA RAGHAV #peace #Love #Self