वेद पढूँ व भेद भी जानूँ बाँचूँ पुराण अट्ठारह। जेहि अनपढ़ अखर लिखै न सीखा ते सिखवय के है सिरजनहारा।। ●आशीष●द्विवेदी● ©Bazirao Ashish वेद पढूँ व भेद भी जानूँ बाँचूँ पुराण अट्ठारह। जेहि अनपढ़ अखर लिखै न सीखा ते का जाने सिरजनहारा।। ●आशीष●द्विवेदी●