#कोरोना, आपदाकाल,मानवता और सरकार कोरोना आपदाकाल, मानवता और सरकार कोरोना के इस दुर्भिक्ष रूपी दौर में भी बहुतों की इंसानियत ज़िंदा है। हर राज्य में बहुत सारे लोग, जिनका व्यापार बंद है, फ़िर भी जिनसे जो बन पड़ रहा है, आस पास के गरीब, लाचार लोगों का मदद कर रहे। प्रतिदिन आस पास कुछ ना कुछ बांटते - बंटते देख रहा हूं। समझ आता है कि वो समाज इतना भी नहीं ख़राब है, जितना मैं समझ बैठा था।हर जगह कुछ अच्छे कुछ बुरे लोग होते हैं। हर किसी में कुछ गुण, कुछ अवगुण होते हैं। ये देख बहुत ख़ुशी होती है कि मजदूरों के दुख़, दर्द से बहुत लोग आहत हो, सड़क पर खाना,कपड़ा,चप्पल, जुटे बांट रहे, ये सुकून देने वाली बात है कि मानवता का पुनरुत्थान हुआ है, इंसानियत चिर निद्रा से जाग रही। जितना जिससे बन रहा कमोवेश कर रहा। एक बात और समझ आई,सरकारें खून चूसने वाले जीव हैं जो आपदा के इस घड़ी में भी राजनीति करने से बाज नहीं आते। हर वक़्त पैसे बनाने के फेर में लगे रहते हैं। दिल्ली में राशन किट में सिर्फ़ और सिर्फ़ लोकल समान दे कर अच्छा खासा पैसा बनाने के जुगाड में सरकार लगी है तो उधर बिहार में सुविधा के नाम पर सरकार बड़ी राशि आवंटन करती है और उस राशि से जनता को सुविधा ना के बराबर जबकि नेताओं का जेब गरम होता है। कोरोना में तब्लीगी जमात वाली घटना को छोड़ दिया जाए तो सारे धर्मों के लोगों ने बिना धर्म, जाति देखे एक दूसरे का सहयोग किया है। ये विपत्ति काल हम जनता आराम से निकाल देंगे। भारत की जनता सरकार से शुरुआत से बहुत कम उम्मीद रखती है।प्रधानमंत्री आज आत्मनिर्भर बनने कह रहे, हम कभी सरकार पर निर्भर रहे ही नहीं, क्योंकि हमें पता है सरकार कोई भी आए वो गरीबों, लाचारों के नाम पर वोट ले लेती है पर अमीरों के ख़ज़ाने भरने का काम करती है। ऐसे कोई भी सरकार के लिए अचानक से इतना बड़ा आया संकट सम्हालना बहुत दुष्कर कार्य है, ख़ास कर तब जब जनसंख्या बहुत ज्यादा हो और उसमें से अधिकतर गरीब हों, मजदूर हों, मजबूर हों। परन्तु, एक बात तो है कि यहां किसी छुटभैये नेता तक को संक्रमण नहीं हुआ जो दिखाता है कि हमारे नेता जनता के साथ सोशल डिस्टेनिसिंग, और ज़मीन पर उतर कितना काम करते हैं। जय हिन्द, हम कोरोना से जीतेंगे।