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मेरा दिल दुखाओ या गालियां दो चाहे तो लेलो मेरी तुम

मेरा दिल दुखाओ या गालियां दो चाहे तो लेलो मेरी तुम जान भी तुम्हे हर गुनाह की माफी है
और गर दूर ही करना है मुझे खुद से तो मेरा भरोसा तोड़ देना बस इतना ही काफी है!!

क्यूंकि दिल अक्सर अपने ही दुखाते है
गाली देकर सिर्फ सच्चे यार ही बुलाते
और जान तो अपनो के लिए ही होती है यारो
पर भरोसा तोड़ने वाले कहां कोई रिश्ता निभाते है!!

रिश्ते बनाने से आसान कोई काम नही होता
पर रिश्ता निभाना इतना भी आसान नहीं होता
और अक्सर घमंड या फिर धोखे तोड़ देते है गहरे रिश्ते
क्यूंकि रिश्तों में भरोसे से बड़ा कोई उपहार नही होता!!


कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi
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