निहारना मत इतना, चक्षु से काजल पिघल जायेंगा नयन स्पर्श मत करना इतना, मेरा बाण तेरी आत्मा में चीर जायेंगा रुह से ना रूप निहारना इतना, बेवजह मेरे में लीन हो जायेंगा निपुण तो नही इतना , मैं जब होगा तो तू प्रकृती प्रलय भी भूल जायेंगा #हिंदीनामा #hindipoem #poetry