मुश्किल से जिन्दा रहती हैं, भवनों की बुनियादें, अगर उनको खोखला करने वालों, की तरफ से ध्यान हटाया, समझो चूहे-घीसे जैसों ने, अपना रंग दिखाया, बहती धारा जो सींचती है फसलों को, वो भी तोड़ सकती है उसकी मजबूती, जब तक बुनियादों की पकड़ धरातल पर रहेगी, तब तक भवनों की उम्र रहेगी। ©Harvinder Ahuja #मेरा देश-मेरा भवन