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#कठपुतली खुद को हीं बना कठपुतली नचाती रही बंद कर प

#कठपुतली
खुद को हीं बना कठपुतली नचाती रही
बंद कर पिंजरे में खुद को हीं सताती रही
क्या कहेगी दुनियाँ जब निकलूंगी मन के कारा से
यह बात हर पल दिल को सताती रही
था वहाँ विस्तृत व्योम कारा के बाहर
पर पंख अपने समेट खुद हीं, जलाती रही
विद्रोह करता रहा मन इस गहरे अंधियारे का
पर समझ इस निशा को अपना मुकद्दर
खुद को इस तमस में लिपटाती रही
चलता रहा है बर्षों से ये द्वंद्व अन्तर्मन में
पर  हर बार मना कर खुद को हीं समझाती रही
खुद को हीं बना कठपुतली नचाती रही
क्यों डोर औरों के हाथों में थमाती रही

©Savita Suman
  #कठपुतली