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आज जो लौटा दफ्तर महीनों बाद हमारे बीच फ़ासला था हमा

आज जो लौटा दफ्तर महीनों बाद
हमारे बीच फ़ासला था
हमारे हाथ नहीं बढ़ पा रहे थे 
हम मुस्कुराते हुए भी एक दूसरे को देख नही पा रहे थे
लेकिन आंखों की चमक बता रही थी
के हमनें काफी कीमती वक्त खो दिया है डर के साये में
के जब शुरुआत हुई हैं तो दुआ है के 
सब पहले की तरह हो जाये तो बेहतर हैं
अब शायद खोने के लिए कुछ नही बचा है
-राकेश तिवारी-
 #newnormal #backtooffice 
#officelife #workisworship #workislife #satysafe #hindishayari #hindiquotes
आज जो लौटा दफ्तर महीनों बाद
हमारे बीच फ़ासला था
हमारे हाथ नहीं बढ़ पा रहे थे 
हम मुस्कुराते हुए भी एक दूसरे को देख नही पा रहे थे
लेकिन आंखों की चमक बता रही थी
के हमनें काफी कीमती वक्त खो दिया है डर के साये में
के जब शुरुआत हुई हैं तो दुआ है के 
सब पहले की तरह हो जाये तो बेहतर हैं
अब शायद खोने के लिए कुछ नही बचा है
-राकेश तिवारी-
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