मुझे आवारा न समझो मुझे दीवाना कहते हैं तुम्हारी ही तरह हूँ मैं मुझे बेगाना न समझो ।। १ तूफानों से सदा लडकर चराग़ों को बचाया है जले थे हाथ जो मेरे उसे अब तक छुपाया है ।। २ आया हूँ तेरे दर पर मुकम्मल इश्क ये कर दो रहम खाओ जिगर जाने सितम अब बंद भी कर दो ।। ३ इश्क में काम ना दूजा करूँ दिन रात मैं पूजा तुम्हारी ही तमन्ना पे सकल संसार है पूजा ।। ४ दिया जो रूप मालिक ने उसी पर नाज करते हैं तुम्हारे पास है जो दिल उसे अपना समझते हैं ।। ५ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुझे आवारा न समझो मुझे दीवाना कहते हैं तुम्हारी ही तरह हूँ मैं मुझे बेगाना न समझो ।। १ तूफानों से सदा लडकर चराग़ों को बचाया है जले थे हाथ जो मेरे