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कुछ ठोकरें भी जरूरी h ज़िंदगी में, इंसान को सही रा

कुछ ठोकरें भी जरूरी h ज़िंदगी में,
इंसान को सही राह दिखाने में,वरना
बहुत घमंड था आग को, शहर चलाने में
चंद बूंदे क्या आई, राख भी बह गई गंदे नालों में।।

©Naresh_Panghal
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