महज़ इतना कहके गुज़र जाइयेगा, के आओगे बेशक़ मुकर जाइयेगा। साथी सफ़र का भले न चुनो, मिलूं ग़र ज़रा सा ठहर जाइयेगा। कहीं भी रहो संग किसी के हंसो, रोने पे अपने ही घर जाइयेगा। बच्चे को थोड़ी तसल्ली मिलेगी, अचानक डराए तो डर जाइयेगा। अब तक उसे ही बुलाता है गाँव, कहना उसे जब शहर जाइयेगा। परिंदे का केवल शज़र ले गए, परों को भी साहब कुतर जाइयेगा। तवज्जो के बदले में दे क्या 'डिअर', सलामत रहो तुम जिधर जाइयेगा। #dearsdare #gazal #ghazal #yqdidi #poetry #love #life #gaon