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कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत लिखकर पाती एक दिन, कर

कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत

लिखकर पाती एक दिन, कर लेना तुम अंत ।
पर जीने की ये कला, देता नहीं वसंत ।।
देता नहीं वसंत, जिओ तुम जीवन ऐसे ।
रहो नहीं भयभीत, खिलोगे मेरे जैसे ।।
देख प्रखर को आज, जिओ अब तुम भी जी भर ।
देता है संदेश , आज कुण्डलिया लिखकर ।।

०९/०२/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत


लिखकर पाती एक दिन, कर लेना तुम अंत ।

पर जीने की ये कला, देता नहीं वसंत ।।

देता नहीं वसंत, जिओ तुम जीवन ऐसे ।
कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत

लिखकर पाती एक दिन, कर लेना तुम अंत ।
पर जीने की ये कला, देता नहीं वसंत ।।
देता नहीं वसंत, जिओ तुम जीवन ऐसे ।
रहो नहीं भयभीत, खिलोगे मेरे जैसे ।।
देख प्रखर को आज, जिओ अब तुम भी जी भर ।
देता है संदेश , आज कुण्डलिया लिखकर ।।

०९/०२/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत


लिखकर पाती एक दिन, कर लेना तुम अंत ।

पर जीने की ये कला, देता नहीं वसंत ।।

देता नहीं वसंत, जिओ तुम जीवन ऐसे ।

कुण्डलिया छन्द :- विषय वसंत लिखकर पाती एक दिन, कर लेना तुम अंत । पर जीने की ये कला, देता नहीं वसंत ।। देता नहीं वसंत, जिओ तुम जीवन ऐसे । #कविता