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कातिल तुम्हारे दिल में है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

कातिल तुम्हारे दिल में है
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अपनी नजरों  से सवाल तुम ,
करते     हो      क्यों     नहीं।
कातिल  तुम्हारे   दिल  में  है,
 उसे कतरते हो तुम क्यों नहीं।
ख्वाबों   में  जी   कर   क्या   कर   लोगे   तुम,
यादों में बसाकर लम्हों  को क्या कर लोगे तुम।
जलवा तेरा  किसी काम की है नहीं,
श्रृंगार धुल  जाएगा  तेरा  सब यही।
आधार    कुछ     नहीं    है ,
मन तेरा मचलता क्यों नही।
दर्द बयां करता है दिल मेरा,
तुझे  खलता   है  क्यों नहीं।
ठहराव कब होगा  तुम्हारे बहकते मन का,
बहाव  कब होगा तन में  सनातन धर्म का।
कायनात   में   तुम्हारा   घर  कैसा   होगा,
पूछते    हो  क्यों      नहीं।
सुकून मिलेगी या मुश्किलें,
पूछते     हो    क्यों    नहीं।
आक्रोश भरा द्रवित पल है,
आवाज निकल रही हर तरफ से,
रक्षक   सिर्फ    कमल   है।
विद्रोह   की  भाषा   अब  जाग  चुकी  है,
बेवाक प्रमोद का कलम अब आ चुकी है।
हर्षित     मन   है   हिंद   का,
फिर   मुस्कान    क्यों   नहीं।
अपने  नजरों  से  सवाल तुम,
करते      हो     क्यों      नहीं।
कातिल   तुम्हारे   दिल  में है,
उसे  कतरते   हो  कि   नहीं।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
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©pramod malakar
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