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बन जाऊं क़ासिद दिल की आरजू यही लोगों के माज़ी का मैं

बन जाऊं क़ासिद दिल की आरजू यही
लोगों के माज़ी का मैं यूं एहतराम करूँ
एहसास दर्ज करतीं छुअन से उँगलियाँ,
उन हाथों को चूम चूम कर सलाम करूँ
मुझे मिल जाये मुर्शिद मेरी जुस्तजू यही
घूम कर शहर भर जीने का इंतजाम करूँ
निगाहों से छू कर सही करे मेरी गलतियां।
ले कर न सिर पर गुनाहों का इल्ज़ाम मरूं।
©अलका मिश्रा

©alka mishra #क़ासिद
#messenger
बन जाऊं क़ासिद दिल की आरजू यही
लोगों के माज़ी का मैं यूं एहतराम करूँ
एहसास दर्ज करतीं छुअन से उँगलियाँ,
उन हाथों को चूम चूम कर सलाम करूँ
मुझे मिल जाये मुर्शिद मेरी जुस्तजू यही
घूम कर शहर भर जीने का इंतजाम करूँ
निगाहों से छू कर सही करे मेरी गलतियां।
ले कर न सिर पर गुनाहों का इल्ज़ाम मरूं।
©अलका मिश्रा

©alka mishra #क़ासिद
#messenger