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हमारी बंदगी है ये, कोई रोज़ी रोटी का इम्कान नहीं,

हमारी बंदगी है ये, कोई रोज़ी रोटी का इम्कान नहीं, 
अशार ए जिगर हैं, सजा के बेचने का सामान नहीं, 
जी, आपकी फ़रमाइश पे न ये खुलेगा न बंद ही होगा ये, 
हमारे शेरों की क़िताब है, आपके मामा की दुकान नहीं!

©Shubhro K
  #26Jun2022
#JustKidding