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किसी चहरे पर निगाहें कुछ यूं अटकती हैं जैसे चलती घ

किसी चहरे पर निगाहें कुछ यूं अटकती हैं
जैसे चलती घड़ी की सुई रुकती हैं...
उन्हें देख दिल जोरों से यूं धड़कता हैं
जैसे आंधी से खिड़कियां खड़खड़ाती हैं...

©Rah Arav
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