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पहले से कहीं ज्यादा तुझसे इश्क़ करने लगा हूँ मैं क

पहले से कहीं ज्यादा तुझसे इश्क़ करने लगा हूँ
मैं क़ातिब हूँ, अब तुझे क़िताबों में पढ़ने लगा हूँ

मैं अपने कमरें की खिड़कियाँ, दरवाज़े बंद कर लेता हूँ
मैं अंधेरों में खुद ही अब तेरा चाँद लगने लगा हूँ

एक आईंना मेरे कमरें कि, तेरी ख़ामोशी बयां करती हैं
दीवारों से टंगी उस आईंनें कि, मैं ख़ामोशी पढ़ने लगा हूँ

prem_nirala_

 क़ातिब(लेखक)
पहले से कहीं ज्यादा तुझसे इश्क़ करने लगा हूँ
मैं क़ातिब हूँ, अब तुझे क़िताबों में पढ़ने लगा हूँ

मैं अपने कमरें की खिड़कियाँ, दरवाज़े बंद कर लेता हूँ
मैं अंधेरों में खुद ही अब तेरा चाँद लगने लगा हूँ

एक आईंना मेरे कमरें कि, तेरी ख़ामोशी बयां करती हैं
दीवारों से टंगी उस आईंनें कि, मैं ख़ामोशी पढ़ने लगा हूँ

prem_nirala_

 क़ातिब(लेखक)
premnirala8243

Prem Nirala

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क़ातिब(लेखक)