पढ़े-लिखों को लगी है देखो अजब बीमारी, डिग्री/डिप्लोमा ऊपर अलग चार साल तैयारी, हैं तो देखो सही सलामत, आगे बढ़ सकने की लाचारी, पढ़े-लिखों को लगी है देखो अजब बीमारी, अधिकार में पाना था पर बना दिया भिखारी, साहब इसी को कहते है शायद बेरोजगारी... उम्र की सीमा पर है, लक्ष्य कार्मिक सरकारी, लौ लिए बढ़ रहे है, पर राह बड़ी घनी अंधियारी, शिक्षार्थ आये थे बना दिया आंदोलनकारी, साहब इसी को कहते है शायद बेरोजगारी.... बेरोजगारी भाग-2 #उत्तराखंड_बेरोजगारी