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जख्म बहते रहे बेजार यहाँ नजरों से, और तेरी मजहबी आ

जख्म बहते रहे बेजार यहाँ नजरों से,
और तेरी मजहबी आँखों का सहारा न मिला।
#कलमसत्यकी

©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
  #GoldenHour जख्म बहते रहे बेजार यहाँ नजरों से,
और तेरी मजहबी आँखों का सहारा न मिला।
#कलमसत्यकी ✍️©️

#GoldenHour जख्म बहते रहे बेजार यहाँ नजरों से, और तेरी मजहबी आँखों का सहारा न मिला। #कलमसत्यकी ✍️©️ #शायरी

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