कभी इधर देखती है, कभी उधर देखती है, तेरा हीरो यहां है पागल, तू किधर देखती है। बड़ पीपल की छांव,बाजरे की रोटी, घी दूध, बहुत मौज है गांव में, और तू शहर देखती है। हर वक्त मोबाइल में ही, घूसी रहती है तू, तेरी आंखों का पेट नहीं भरता,जो दिन भर देखती है। गांव में आ रामलीला देख, सांग देख,अच्छा लगेगा, छोड़ Mx प्लेयर पे वेब सीरीज,आठों पहर देखती है। हरे भरे खेत देखकर,आंखों की रोशनी बढ़ जाएगी, धुल जाएगा जो सुबह से शाम तक,जहर देखती है। ओमबीर काजल का हाथ पकड़,चल घर चलते हैं, मां भी ना जाने कब से, बहू की राह देखती है। ✍Ombir Kajal ©Ombir Kajal किधर देखती है