उससे सवाल करना, और फिर सोचना की वो क्या जवाब देगी। उसके जवाब आने से पहले सोचे गए हर जवाब का गलत होना, उसके बाद भी कहना कि हमारे विचार कितने मिलते है। ऐसी ही कुछ गलतियां, सिर्फ उसकी खुशी के लिए बहुत बार करता था मैं? उसको हँसाने की कोशिश में बाते अजीब करना खुद की पागलपंती को एक हद तक बढ़ा देना और जब कहे वो की तुम इडियट हो, पागल हो क्या? उसकी इस बात का मजाक भी पागलों की तरह बना देना इस कदर उसपर ,जाने क्यों मरता था मैं? वो हर बात बेझिझक कह देती, मुझे बुरा या अच्छा, और गुस्सा भी बिना सोचे कर लेती गलती किसी की हो चाहे, और वो जताती की तुम नही खास, मेरे पीछे बहुत पागल है। सहकर असहनीय दर्द बहुत सारे, उसे कुछ नही कहता, कभी उसकी बुराई नही करता। शायद उसके रूठने और दूर जाने से बहुत डरता था मैं इडियट