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मेरी जिंदगी भी बंद मुठी में भरी रेत जैसी है। जिसे

मेरी जिंदगी भी बंद मुठी में भरी रेत जैसी है।
जिसे जितना समेटना चाहू उतनी ही फिसल जाती है।
.
लोग मेरे पहने नकाब को ही मेरी जिंदगी समज बैठे है।
इन नकाबों के पीछे छुपी मेरी दर्द भरी जिंदगानी है।
.
अक्सर लोगो से सुना है, कमजोर ही खुदखुशी किया करते है।
कभी खुद भी कोशिश करके देख लो, जवाब मिल जाएगा।
.
थक चुका हूं में दर्द अपने छिपाते छिपाते ।
ता उम्ब्र निकली जा रही है, एक खुशी की तलाश में।
.
वक्त बड़ा जालिम होता है साहब,
तजुर्बा दे कर मासुमियत छीन लेता है।
.
यू चेहरे पर उदासी न ओढ़िये साहब। 
वक्त जरूर मुश्किल का है,पर कटेगा मुस्कुराने से ही।
 -प्रफुल भावसार

©@Praful_Bhavsar_official #prafulbhavsar #lifeexperiences 

#Book
मेरी जिंदगी भी बंद मुठी में भरी रेत जैसी है।
जिसे जितना समेटना चाहू उतनी ही फिसल जाती है।
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लोग मेरे पहने नकाब को ही मेरी जिंदगी समज बैठे है।
इन नकाबों के पीछे छुपी मेरी दर्द भरी जिंदगानी है।
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अक्सर लोगो से सुना है, कमजोर ही खुदखुशी किया करते है।
कभी खुद भी कोशिश करके देख लो, जवाब मिल जाएगा।
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थक चुका हूं में दर्द अपने छिपाते छिपाते ।
ता उम्ब्र निकली जा रही है, एक खुशी की तलाश में।
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वक्त बड़ा जालिम होता है साहब,
तजुर्बा दे कर मासुमियत छीन लेता है।
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यू चेहरे पर उदासी न ओढ़िये साहब। 
वक्त जरूर मुश्किल का है,पर कटेगा मुस्कुराने से ही।
 -प्रफुल भावसार

©@Praful_Bhavsar_official #prafulbhavsar #lifeexperiences 

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