गजब का सियासी चाल हैं यारा जनता का भलाई नही, सत्ता का सब हैं प्यारा तू तू मैं मैं तो हम सब को उल्लू बनाने के लिए है असल मे ये तो एक ही थाली के चट्टे -बट्टे हैं कहते हैं न चोर चोर मौसेरा भाई अपना काम बनता भार में जाय जनता साला समझ नही आता किसको वोट दे कल तक जो एक दूसरे के कट्टर दुश्मन थे आज जैसे सारू भाई हो गए हैं कहते हैं न गटर का पानी कितना भी गंदा क्यों न हो गंगा में मिलने पर गंगाजल ही कहलायेगा वही हाल आज राजनीतिक दल का हैं खुद को साफ सुथरा कह चाहे वो कितना भी भ्रस्टाचारी और दागी को क्यों न मिला ले लेकिन खुद को साफ सुथरा ही कहेगा कुछ नही यारा सत्ता के नाम बदलते हैं सियासी चाल नही ये नेता तो लोल हमें बनाते हैं ,फिर सब एक हो जाते हैं तो लोल बनना नही हैं जिसे चाहो दे दो क्योंकि कौन किसके साथ पता नही। ©Arun kr. #दलबदल