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चारों तरफ मुहब्बत के बीमार बैठे हैं कई आशिक़ हुए यह

चारों तरफ मुहब्बत के बीमार बैठे हैं
कई आशिक़ हुए यहाँ तो कई बेकार बैठे हैं,

मैं देख रहा हूँ जब मेरे अतराफ़ मैं सबकुछ
सब लोग जलाये दिल मैं इश्क़ की आग बैठे हैं,

अब परेशान सा रहता हूँ दोस्तों के लहजे से मैं
सारे यार कमबख्त इश्क़ से लाचार बैठे हैं,

जहाँ देखो वहाँ इसी इश्क़ का शोरगुल है
लगता है ग़ालिब,मीर दोबारा से आन बैठे हैं,

क्या दौर आ गया है इस इश्क़ की मझदार मैं
सब आशिक़ डुबाये अपनी कश्ती का मेयार बैठे हैं। #Meyaar#MyPoetry#LoveAble#Dosti
चारों तरफ मुहब्बत के बीमार बैठे हैं
कई आशिक़ हुए यहाँ तो कई बेकार बैठे हैं,

मैं देख रहा हूँ जब मेरे अतराफ़ मैं सबकुछ
सब लोग जलाये दिल मैं इश्क़ की आग बैठे हैं,

अब परेशान सा रहता हूँ दोस्तों के लहजे से मैं
सारे यार कमबख्त इश्क़ से लाचार बैठे हैं,

जहाँ देखो वहाँ इसी इश्क़ का शोरगुल है
लगता है ग़ालिब,मीर दोबारा से आन बैठे हैं,

क्या दौर आ गया है इस इश्क़ की मझदार मैं
सब आशिक़ डुबाये अपनी कश्ती का मेयार बैठे हैं। #Meyaar#MyPoetry#LoveAble#Dosti