White मात पितु का कुंभ मैं, यही मेरे कुम्हार। असमंजस से जग भरा, दिया मुझे निखार।। गडी–गड़ी गढ़े, घड़ी–घड़ी काटे खोट। एक हाथ कर धरे, एक हाथ से चोट।। सरवन–सरवन श्रवण करूं, मात पिता और कुंभ। तीन कर जो सर रहे, फिर जीत निश्चित स्तंभ।। –गीतेय... ©गीतेय... #GoodMorning #महाकुंभ2025