Nojoto: Largest Storytelling Platform

उसका ही सुरूर मुझ पर रहता ग़ालिब, अब कोई ग़म नहीं

उसका ही सुरूर मुझ पर रहता ग़ालिब,
अब कोई ग़म नहीं है मेरे रहता जानिब।
खुशी की रौनक दिखती है चेहरे पर मेरे,
अब रात नहीं होती, रहते मेरे घर सवेरे।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #ग़ालिब