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परिपूर्ण प्रेम एक एहसास ऐसा है जो दिल से निकलता ह

परिपूर्ण प्रेम

एक एहसास ऐसा है जो दिल से निकलता है,

जो महसूस किया दिल ने आंखों से बरसता है,

 छुवन का एहसास से भी दिल ठहर जाता है,

बस एक आरजू है कि तुझे खुद से जुदा न होने दू,

तेरे सिवा मुझे मेरे दिल को कोई और न भाता है,

 तू मेरे पास भी नहीं पर तेरे एहसास ही सही,

उनमें खो कर मेरा रोम रोम बस भीग जाता है,

माना कि तुझे पा नही सके है पर तेरे प्यार को,

हरपल  पाया है हमने , और हमेसा दुवा में तुझे

मांग लिया करते हैं, माना आज नही तू मेरे पास,

पर इंतेजार रहेगा उस पल का जब तुम मिलोगे,

उन्ही एहसासों के साथ तब मेरा प्रेम परिपूर्ण होगा।

"शालमली श्रेयांकर"

©shalmali shreyanker
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