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पत्थरों के शहर में ना कर उम्मीद-ए-वफ़ा हबीब

पत्थरों के शहर में ना कर उम्मीद-ए-वफ़ा हबीब
           गर मन से है कुर्बान तू खुदा से कम नहीं II
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हर किसी की फितरत में मंजिल के निशां ना होंगे
चल ओ बेखबर क्यूँ सोचता कि तेरे इरादों में दम नहीं II
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©Kuldeep Dahiya "मरजाणा दीप"
  #GoldenHour  Anupriya Nîkîtã Guptā Anshu writer Sarika Tyagi https://youtube.com/@rahulmalviya108