कली सी खिल मुस्काऊँ ( कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) #rztask445 #restzone #rzलेखकसमूह कली सी खिल मुस्काऊँ कभी नवजात शिशु की पहली मुस्कान सी, नभ से झाँक रहे इन्द्रधनुष सी, कभी- कभी मुस्काऊँ मैं माँ की अंखियों से,