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White ज़िन्दगी की उलझनों में उलझ गए हम, ना जाने कब

White ज़िन्दगी की उलझनों में उलझ गए हम,
ना जाने कब इतने बड़े हो गए हम,
कभी खुले आसमाँ में उड़ते थे, 
अब अपने ही ख्यालों में खो गए हम।

बचपन में हँसते- हँसाते थे,
एक दूसरे को खूब फंसाते थे,
कभी झूठी शिकायतें लगाते थे,
कम नंबर वाला पेपर छिपाते थे।

आज सचमुच बहुत बड़े हो गए हम,
पता नहीं कब इतने अकेले हो गए हम,
एक दूसरे को तंग करत- करते,
अब खुद से ही नाराज़ हो गए हम।

ज़िन्दगी भी एक अजीब पहेली है,
सबके साथ रहकर भी अकेली है,
मगर फिर भी अपनी तो सहेली है,
आज नहीं तो कल फिर से नयी नवेली है।।

                       'निशा'

©Nisha Malik #GoodEvening Zindagi 😍
White ज़िन्दगी की उलझनों में उलझ गए हम,
ना जाने कब इतने बड़े हो गए हम,
कभी खुले आसमाँ में उड़ते थे, 
अब अपने ही ख्यालों में खो गए हम।

बचपन में हँसते- हँसाते थे,
एक दूसरे को खूब फंसाते थे,
कभी झूठी शिकायतें लगाते थे,
कम नंबर वाला पेपर छिपाते थे।

आज सचमुच बहुत बड़े हो गए हम,
पता नहीं कब इतने अकेले हो गए हम,
एक दूसरे को तंग करत- करते,
अब खुद से ही नाराज़ हो गए हम।

ज़िन्दगी भी एक अजीब पहेली है,
सबके साथ रहकर भी अकेली है,
मगर फिर भी अपनी तो सहेली है,
आज नहीं तो कल फिर से नयी नवेली है।।

                       'निशा'

©Nisha Malik #GoodEvening Zindagi 😍
nishamalik5465

Nisha Malik

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