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मेरी बदतमीजियों और शरारतों को माफ करदो ना भुलाकर ग

मेरी बदतमीजियों और शरारतों को माफ करदो ना
भुलाकर गुस्ताखियां मेरी तुम अपने दिल को साफ करदो ना
और मैंने तो की थी तुमसे इजहार - ए - मोहब्बत
इस बार बयान - ए - इश्क आप करदो ना!!


अक्सर महफिलों में भी तन्हा रहता हूं
तुम झूठा ही सही मुझसे प्यार कर लो ना!!
ये माना कि मोहब्बत करना आसान नहीं होता 
पर करके इश्क तुम मुझ पर एहसान करदो ना!!


नींद गायब है मेरी पहले ही और बेकरारी भी बेहिसाब रहती है
बन जाओ तुम मेरी रुक्मिणी और मुझे अपना श्याम करदो ना!!


तुम बसती हो मेरी रूह, मेरी धड़कन, मेरी सांसों में
बसा कर मुझको अपने दिल में तुम मेरे नाम को अपना नाम करदो ना!!


कवि : इंद्रेश द्विवेदी  (पंकज)

©Indresh Dwivedi
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