तेरी यादों कि मजलिस से अभी निकली हूं मैं अपना आशियाना भूल गई राहों में मिलते गए लोग अपना ही पता पूछती रह गई शायद तेरी यादों में ,मैं खुद को ही भूल गई जो गर याद आये, मुझे मेरी पहचान बता देना मुझे मेरे आशियाने का पता बता देना यादों के जख्म लिए, थक चुकी हूं अब खुद को खोज सकूं मैं अब वो राह भूल चुकी हूं मैं #yaadein