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शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी (27 सितम्बर 1907-23

शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी 
(27 सितम्बर 1907-23 मार्च 1931)
जिस मुल्क में चरखे से आज़ादी लाई गई है 
वहाँ हर जियाले की शहादत यूँ ही भुलाई गई है 
हर शहर हर चौराहे पर गाँधी की प्रतिमाएँ तो है 
बताओ गर कहीं भगत सिंह की भी मूर्ति लगाई गई है 
आज के दिन भी चंद लोगों को याद आया है वो शेर 
वरना तो ना जाने कितनी बरसियाँ गई और आई है 
जिसके बलिदानों की बदौलत हम शान से जी रहे है 
ये खुशबु जो आ रही है ये क्यारी उस वीर की लगाई है
रंग शहादत का हमको बचा कर रखना होगा हमेशा 
ये जो हमारे दिल में हैं ये उस भगत की रोशनाई है 
माँ के सपूतों का नाम भी अमर रखना होगा हमको 
ये वो वीर हैं जिसने अपने वतन की आबरू बचाई है शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी
शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी 
(27 सितम्बर 1907-23 मार्च 1931)
जिस मुल्क में चरखे से आज़ादी लाई गई है 
वहाँ हर जियाले की शहादत यूँ ही भुलाई गई है 
हर शहर हर चौराहे पर गाँधी की प्रतिमाएँ तो है 
बताओ गर कहीं भगत सिंह की भी मूर्ति लगाई गई है 
आज के दिन भी चंद लोगों को याद आया है वो शेर 
वरना तो ना जाने कितनी बरसियाँ गई और आई है 
जिसके बलिदानों की बदौलत हम शान से जी रहे है 
ये खुशबु जो आ रही है ये क्यारी उस वीर की लगाई है
रंग शहादत का हमको बचा कर रखना होगा हमेशा 
ये जो हमारे दिल में हैं ये उस भगत की रोशनाई है 
माँ के सपूतों का नाम भी अमर रखना होगा हमको 
ये वो वीर हैं जिसने अपने वतन की आबरू बचाई है शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी

शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह जी #शायरी