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बेबस कभी कभी कुछ रातें खामोश होती सन्नाटे गूंजते

बेबस
कभी कभी कुछ रातें खामोश होती 
सन्नाटे गूंजते ,बादल  गरजते
दिल मे आस चमत्कार की
सुन ले कोई फ़रयाद इस बार भी
 बेबस लाचार ज़िन्दगी काल चक्र में
लगे न अर्जी इस बार भी
चलती नही है मर्ज़ी अंतिम पड़ाव में
जलती है ज़िन्दगी शमशान में
रुकता नही कोई अंतिम पड़ाव में
 देखते हैं सब यूंही  बेबस से

©Rakhi  Gupta
  ## बेबस ##
rakhigupta3359

Rakhi Om

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## बेबस ##

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