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कमल ए मन बन कमल के समान न फंस गंदगी में मेरा कहा

कमल 

ए मन बन कमल के समान
न फंस गंदगी में मेरा कहा मान
उभर जा दुनियावी कुरीतियों से 
मत कर खुद पर अभिमान

©Surinder Kumari
  कमल# जीवन

कमल# जीवन #शायरी

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