होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही,,
मंजिल भी मिल ही जायेगी कदम आगे बढ़ाओ तो सही..
कर दे रौशन तू सारे जहाँ को अपने तेज़ से,,
सारी बलाये मिट जायेगी रब को एक बार गुहार लगाओ तो सही..
होंगे सारे अंधेरे दूर उम्मिद का एक दीया जलाओ तो सही...
5th April at 9:00 P.M
Ak. Amit