थरथराती ठंड सा ठिठुरता था बिल्कुल अंधेरे कमरे मे सन्नाटे सा बिलखता डरता था रोशनी से और देख कर अक्सर भीड़ को मैं डरता तू सांवली शाम सी नजर आती है कड़कती धूप में तू हवा की छुअन तू मुस्कुराती धूप सी धीरे से तेरे हाथ का वो स्पर्श का मेरे हर डर पर दबा का असर रिंकी✍️ #हँसती धूप है तू