White सामने जो था, हर इल्ज़ाम उसी पर आया, जिसे देखा ही नहीं, वो निर्दोष नज़र आया। सच कहने चला जो, ग़लत कहलाया, ख़ामोश जो रहा, वो समझदार आया। दर्द सहे जिसने, वही ग़ुनहगार ठहरा, जो तमाशाई था, वो होशियार नज़र आया। जो मिट्टी से उठा, वो रुसवा हुआ, महलों में जो था, वो मसीहा करार आया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीत_ठाकुर