सौदेबाज़ी क्या करना, किए का फल पड़ता भरना, मंज़िल हो हासिल सबको, किस्मत से पड़ता लड़ना, बूँद बूँद मिल बने नदी, बहता पर्वत से झरना, राह की बाधा से लड़कर, सतत पथिक आगे बढ़ना, अंधियारी हो रात अगर, दीपक सा पड़ता जलना, प्रेम और उत्साह संजोना, उत्सव फीका क्या करना, झुकने से गर बात बने तो, 'गुंजन' नाहक क्यों अड़ना, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #सौदेबाज़ी क्या करना#