" वो शख़्स है ही नहीं किसकी बात करते , आरज़ू कर तो लूं पर किस को ख्यालों का चेहरा बनाते , ये सब्र हैं तेरे उन एहसासों का गैर-ईरादातन , कबायत इस बात पे है चेहरे है कई जैसे धड़कने उस बात की इजाजत नहीं देती . " --- रबिन्द्र राम— % & " वो शख़्स है ही नहीं किसकी बात करते , आरज़ू कर तो लूं पर किस को ख्यालों का चेहरा बनाते , ये सब्र हैं तेरे उन एहसासों का गैर-ईरादातन , कबायत इस बात पे है चेहरे है कई जैसे धड़कने उस बात की इजाजत नहीं देती . " --- रबिन्द्र राम #शख़्स