2122 1212 22 ज़िन्दगी दर्द से यूँ हारी है हर नफ़स ज़िन्दगी पे भारी है चुपके से आते है ये रातों को दर्द की मुझसे ऐसे यारी है गुजरेगी आज रात फिर तन्हा रात फिर आज की ये भारी है कह रहे बहते अश्कआँखों के दर्द से जंग अब भी जारी है आ गया वक्त मौत का शायद किसकी साँसों पे ताबेदारी है हँसके बाहों में वो समा लेगी मौत तो इश्क की पुजारी है मौत को हम गले लगा लेंगे मौत तो ज़िन्दगी से प्यारी है ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 16/1/2017 ©laxman dawani #shadesoflife #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge