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कैसा मौसम हैं ये फूल खिलते नहीं जख्म सिलते नहीं य

कैसा मौसम हैं ये फूल खिलते नहीं
जख्म सिलते नहीं यार मिलते नहीं
है बहारों के पर्दे में जैसे फ़िज़ा
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ?
तेरे बिन अजनबी हैं ज़मीं आसमां
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ

हम ये समझे थे कुछ रोज़ मेंतुझको हम 
भूल जायेंगेपर भूल थी ये सनम
दिल से जाती नहीं तेरी परछाईयां
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ? #तन्हाइयां
कैसा मौसम हैं ये फूल खिलते नहीं
जख्म सिलते नहीं यार मिलते नहीं
है बहारों के पर्दे में जैसे फ़िज़ा
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ?
तेरे बिन अजनबी हैं ज़मीं आसमां
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ

हम ये समझे थे कुछ रोज़ मेंतुझको हम 
भूल जायेंगेपर भूल थी ये सनम
दिल से जाती नहीं तेरी परछाईयां
ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ? #तन्हाइयां