कैसा मौसम हैं ये फूल खिलते नहीं जख्म सिलते नहीं यार मिलते नहीं है बहारों के पर्दे में जैसे फ़िज़ा ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ? तेरे बिन अजनबी हैं ज़मीं आसमां ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ हम ये समझे थे कुछ रोज़ में तुझको हम भूल जायेंगे पर भूल थी ये सनम दिल से जाती नहीं तेरी परछाईयां ऐ मेरी ज़िन्दगी खो गयी तू कहाँ ? #तन्हाइयां