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झूठ तुम तो झूठ हो तुम्हारी कलईदार चमक आज नहीं तो क

झूठ तुम तो झूठ हो
तुम्हारी कलईदार चमक
आज नहीं तो कल उतर जायेगी

सच 
कलई का मोहताज नहीं
उसकी आँखों में धूल झोंक कर
उसकी आँखें बंद कर सकते हो
पर उसकी आत्मा के सूरज का क्या करोगे

सच तो तुम्हारी लगाई आग में
और भी दमकेगा
दूबकेगा नहीं

©Rabindra Prasad Sinha
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