कोयल जैसी वाणी तेरी मृगा-सी तू चलती है इतना पावन नाम है तेरा सूरज जैसी ढलती है जमना-सी है काया तेरी संगमरमर-सा है रुप आनंद-सी है छाया तेरी अंलकित करती है धूप ताज-सा एहसास है तेरा दुल्हन- सी तू सजती है नवरत्नों-सी पायल तेरी मृदंग जैसी बजती हैं ©parveen mati कोयल जैसी वाणी तेरी मृगा-सी तू चलती है इतना पावन नाम है तेरा सूरज जैसी ढलती है जमना-सी है काया तेरी संगमरमर-सा है रुप आनंद-सी है छाया तेरी अंलकित करती है धूप