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parveen mati

लिखता हूँ दिल से महसूस करना अल्फाजों को तो मजा आएगा (जिंदगी में कल हो ना हो!)

https://youtube.com/c/Udaansbpossiblehai

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parveen mati

उदास मौसमों का दौर है अभी
कल अपना भी वक्त आयेगा
हवा भी अपने हिसाब से होगी
फटे हुए होंठों से वक्त भी मुस्कुरायेगा

©parveen mati उदास मौसमों का दौर है अभी
कल अपना भी वक्त आयेगा
हवा भी अपने हिसाब से होगी
फटे हुए होंठों से वक्त भी मुस्कुरायेगा

उदास मौसमों का दौर है अभी कल अपना भी वक्त आयेगा हवा भी अपने हिसाब से होगी फटे हुए होंठों से वक्त भी मुस्कुरायेगा #ज़िन्दगी

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parveen mati

कविता

यहां उपजाऊ भूमि है
तो अंकुर नि: संदेह फूटेंगे
फसल के भी और कविता के भी
शहर में भूमि के उपर 
कंक्रीट की परत है
वहां भाई न्यायालय में बैठा
इधर हर कोई भरत है
लहलहाते खेत
जन्म देते हैं संवेदनशीलता को
शब्द उगते हैं होंठों को बताकर
उधर हवा रह जाती है
सिसकती बेबस
दिवारों से टकराकर
प्रकृति यहां सब कुछ देती है
और हां! एक सौम्य कविता इधर ही जन्म लेती है

©parveen mati कविता

यहां उपजाऊ भूमि है
तो अंकुर नि: संदेह फूटेंगे
फसल के भी और कविता के भी
शहर में भूमि के उपर 
कंक्रीट की परत है
वहां भाई न्यायालय में बैठा

कविता यहां उपजाऊ भूमि है तो अंकुर नि: संदेह फूटेंगे फसल के भी और कविता के भी शहर में भूमि के उपर कंक्रीट की परत है वहां भाई न्यायालय में बैठा #Connection #कवितादिवस

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parveen mati

कश्ती है, पतवार है
पानी है, मझधार है 
मछली भी होगी, 
मछुआरें भी होंगे 
चांद फलक पर रहता हमेशा 
तो कुछ टुटते सितारें भी होंगे 
लहरें भी होंगी 
तुफां भी डरायेगा 
हिम्मत ना हारना 
तजुर्बा काम आयेगा 
तुँ समंदर का सिपाही है 
कईयों की नजरें होंगी गिराने पर
कुछ ऐसा ही समाज हो गया है 
विश्वास करना खुद का बस 
आँखें खोलना की तूँ पार हो गया है 
गिराना, तोडना तो आज का कारोबार है 
बैठे रहना मुश्किलों की गठरी लिये तो बेकार है
जीत जायेगा जंग विश्वास कर 
तेरे पास 
कश्ती है, पतवार है

©parveen mati स्वरचित और मौलिक 

कश्ती है, पतवार है
पानी है, मझधार है 
मछली भी होगी, 
मछुआरें भी होंगे 
चांद फलक पर रहता हमेशा 
तो कुछ टुटते सितारें भी होंगे

स्वरचित और मौलिक कश्ती है, पतवार है पानी है, मझधार है मछली भी होगी, मछुआरें भी होंगे चांद फलक पर रहता हमेशा तो कुछ टुटते सितारें भी होंगे #कविता #youandme

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parveen mati

हम अब कल्पनाओं में जी रहे हैं
इस बात से हम दोनों परिचित हैं
जिस क्षण कदमों का तालमेल एक होगा
 हमारा जीवन यथार्थ हो जायेगा
 हमारे निशान जो पड़ेंगे रास्ते में
वो चिन्हित करेंगे एक यथार्थ जीवन

©parveen mati हम अब कल्पनाओं में जी रहे हैं
इस बात से हम दोनों परिचित हैं
जिस क्षण कदमों का तालमेल एक होगा
 हमारा जीवन यथार्थ हो जायेगा
 हमारे निशान जो पड़ेंगे रास्ते में
वो चिन्हित करेंगे एक यथार्थ जीवन

प्रवीण माटी

हम अब कल्पनाओं में जी रहे हैं इस बात से हम दोनों परिचित हैं जिस क्षण कदमों का तालमेल एक होगा हमारा जीवन यथार्थ हो जायेगा हमारे निशान जो पड़ेंगे रास्ते में वो चिन्हित करेंगे एक यथार्थ जीवन प्रवीण माटी #Nofear #ज़िन्दगी

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parveen mati

किताबें कैद अलमारी में
बिखरा कमरे में सन्नाटा
मैं चीख भी नहीं पाया देख
किसी ने भी दर्द नहीं बांटा

कहां रस्ता खोजता रहता
अकेलापन कहां तक जाता
मैं तो निकल ही जाऊँगा 
इसमें होगा बस तेरा घाटा

मुँह दबा रखा था इल्ज़ामों ने
मैं अपनी धुन कैसे बजाता
अब खुली हवा में सांस ली है
मेरे किरदार को मैं नहीं छुपाता

©parveen mati किताबें कैद अलमारी में
बिखरा कमरे में सन्नाटा
मैं चीख भी नहीं पाया देख
किसी ने भी दर्द नहीं बांटा

कहां रस्ता खोजता रहता
अकेलापन कहां तक जाता
मैं तो निकल ही जाऊँगा

किताबें कैद अलमारी में बिखरा कमरे में सन्नाटा मैं चीख भी नहीं पाया देख किसी ने भी दर्द नहीं बांटा कहां रस्ता खोजता रहता अकेलापन कहां तक जाता मैं तो निकल ही जाऊँगा #ज़िन्दगी #MusicLove

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parveen mati

बहन जब बांधती कलाई पर एक धागा है 
मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका 
जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है

मैंने भी सुना और सारे जग ने सुना है 
इस रिश्ते का तो इतिहास भी गवाह है
रिश्तो का समंदर भरा है संस्कार से
 इसका सदैव रहा तेज प्रवाह है
जब भी पुकारा है बहन ने भाई को 
वो गहरी से गहरी नींद में भी जागा है 

बहन जब बांधती कलाई पर एक धागा है 
मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका 
जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है

मुस्कुराता है भाई  सज धज कर
जब जाती है घर से वो दुल्हन बनकर
जानती है बहन कि भाई सिसकता होगा
लेकिन वो गले लगा लेता है बहन को पिता बनकर
आंसू नहीं निकलने देगा आंखों से 
करता ये बहन से वादा है

बहन जब बांध की कलाई पर एक धागा है 
मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका 
जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है

©parveen mati बहन जब बांधती कलाई पर एक धागा है 
मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका 
जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है

मैंने भी सुना और सारे जग ने सुना है 
इस रिश्ते का तो इतिहास भी गवाह है
रिश्तो का समंदर भरा है संस्कार से
 इसका सदैव रहा तेज प्रवाह है

बहन जब बांधती कलाई पर एक धागा है मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है मैंने भी सुना और सारे जग ने सुना है इस रिश्ते का तो इतिहास भी गवाह है रिश्तो का समंदर भरा है संस्कार से इसका सदैव रहा तेज प्रवाह है #ज़िन्दगी #womensday

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parveen mati

माँ, बहन, देवी तूँ 
तेरी महिमा अपरम्पार 
तूँ दुखहरणी, तूँ जीवनदायिनी 
तूँ है जग की आधार

©parveen mati माँ, बहन, देवी तूँ 
तेरी महिमा अपरम्पार 
तूँ दुखहरणी, तूँ जीवनदायिनी 
तूँ है जग की आधार

#womensday

माँ, बहन, देवी तूँ तेरी महिमा अपरम्पार तूँ दुखहरणी, तूँ जीवनदायिनी तूँ है जग की आधार #womensday #ज़िन्दगी

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parveen mati

पागल कहने वाले चारों
 तरफ खड़े हैं मेरे
बस एक तेरा नाम "श्याम"
मुझे गिरने नहीं देता

©parveen mati पागल कहने वाले चारों
 तरफ खड़े हैं मेरे
बस एक तेरा नाम "श्याम"
मुझे गिरने नहीं देता

प्रवीण माटी
#Nofear

पागल कहने वाले चारों तरफ खड़े हैं मेरे बस एक तेरा नाम "श्याम" मुझे गिरने नहीं देता प्रवीण माटी #Nofear #ज़िन्दगी

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parveen mati

मैं कर्जदार हूँ किसी के ख्यालों का
वक्त मिला तो मुकाम पर ठहरेंगे उसके लिए

©parveen mati मैं कर्जदार हूँ किसी के ख्यालों का
वक्त मिला तो मुकाम पर ठहरेंगे उसके लिए

प्रवीण माटी

#Nofear

मैं कर्जदार हूँ किसी के ख्यालों का वक्त मिला तो मुकाम पर ठहरेंगे उसके लिए प्रवीण माटी #Nofear #ज़िन्दगी

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parveen mati

पेडों के पीछे छिप रहा सूर्य
बादलों को छोड़ रस्ते में
देकर अंश उधार चांद को
रजनी को बुलावा भेज रहा

©parveen mati पेडों के पीछे छिप रहा सूर्य
बादलों को छोड़ रस्ते में
देकर अंश उधार चांद को
रजनी को बुलावा भेज रहा

प्रवीण माटी

पेडों के पीछे छिप रहा सूर्य बादलों को छोड़ रस्ते में देकर अंश उधार चांद को रजनी को बुलावा भेज रहा प्रवीण माटी #ज़िन्दगी

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