इरादा सुनो ना आज इरादा है खुद के लिए एक आशियां बनाऊं , सारी आकांक्षाओं को छोड़ फिर से अपने बचपन में लौट जाऊं। कोलाहल से निकल एकांत में घुलकर जीवन के आकार को बदल जाऊं, दुख के अवसाद से निकलकर खुशियों के शिखर पर चढ़ जाऊं। मतलबी दुनिया के सारी नफरतों को भाप जाऊं, पूरी दुनिया अपने पंखों से नाप जाऊं। ©Sudha Tripathi #WForWriters indira