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इरादा सुनो ना आज इरादा है खुद के लिए एक आशियां बन

इरादा  सुनो ना आज इरादा है खुद के लिए एक आशियां बनाऊं
,
सारी आकांक्षाओं को छोड़ फिर से अपने बचपन में लौट जाऊं।

कोलाहल से निकल एकांत में घुलकर जीवन के आकार को बदल जाऊं,

दुख के अवसाद से निकलकर खुशियों के शिखर पर चढ़ जाऊं।

मतलबी दुनिया के सारी नफरतों को भाप जाऊं,

पूरी दुनिया अपने पंखों से नाप जाऊं।

©Sudha Tripathi #WForWriters  vks Siyag Priya dubey Priya Gour indira BAHIR AKHOON
इरादा  सुनो ना आज इरादा है खुद के लिए एक आशियां बनाऊं
,
सारी आकांक्षाओं को छोड़ फिर से अपने बचपन में लौट जाऊं।

कोलाहल से निकल एकांत में घुलकर जीवन के आकार को बदल जाऊं,

दुख के अवसाद से निकलकर खुशियों के शिखर पर चढ़ जाऊं।

मतलबी दुनिया के सारी नफरतों को भाप जाऊं,

पूरी दुनिया अपने पंखों से नाप जाऊं।

©Sudha Tripathi #WForWriters  vks Siyag Priya dubey Priya Gour indira BAHIR AKHOON