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खबरचियों के तरह कुछ भी परस जाता है खोदता हूं पहाड़

खबरचियों के तरह कुछ भी परस जाता है
खोदता हूं पहाड़ चूहा निकल आता है,
बात सोने की थी लोहे के कील बिखरे थे
मज़हबी बिस्तर पर नींद पिघल जाता है। #खबरची #मज़हब #नींद #शुभाक्षरी
खबरचियों के तरह कुछ भी परस जाता है
खोदता हूं पहाड़ चूहा निकल आता है,
बात सोने की थी लोहे के कील बिखरे थे
मज़हबी बिस्तर पर नींद पिघल जाता है। #खबरची #मज़हब #नींद #शुभाक्षरी