तेरी कमी मुझे अक्सर खलती रहती है, जब तू नहीं होती पास तो अब्सार नम रहती है। ज़ेहन ने चाहा की न लाऊ तुझे दिल के इतने पास पर तुझे देखने के लिए यह अब्रू तनी रहती है। चाहत तेरी कमी मुझे #अक्सर #खलती रहती है, जब तू नहीं होती पास तो #अब्सार #नम रहती है। #ज़ेहन ने चाहा की न #लाऊ तुझे दिल के इतने पास पर तुझे देखने के लिए यह #अब्रू #तनी रहती है। #khnazim